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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Sunday, September 21, 2014

Svapnon Ka Bharat (41)

Welcome, Tilak Raj Orkut

my friends (457)my communities (71)managed (9)pending (2

http://www.orkut.co.in/RedirLogin.aspx?msg=0&page=http%3A%2F%2Fwww.orkut.co.in%2FHome.aspx&pli=1&auth=DQAAALkAAABBD6Bkxjl7RGkrS4ijyflxTmqzgHz9sWFBkHMKt6stRJkQzmQKWi2zouBbc-y9FDEHQYMMikinrxFfuC1ee6OBQAl_CelwKg_OzsY2_B6i7lEy05W9tiP_LUiwNr8EX01OPG9YevIaWJX52xkgXcsPd0MxWC5tNJ56cbjtoUL9W5Mo9oOkH8BDc72lI7xtkBjrkrGRRqdMzrz-Cr6J1xZc3ekRvclYlQL1gD61sIUW2y1WwyWvAe1X6uIxkeEEMiM


मुझे अपने भारतीय होने व हिन्दू होने पर गर्व है, इसलिए भी कि ये सर्वश्रेष्ठ हैं, तथा इसलिए भी कि ये मेरा अपना व प्रिय है और प्राणों से भी प्रिय है। 
passions: concept-Vishwa ek Pariwar hai, Bazar nahin. Sabse PremSamman sehyog per Swabhiman khone ko taiyar nahin. Kattar Rashtra Premi sabsepyara Desh Hamara.
passions: concept-Vishwa ek Pariwar hai, Bazar nahin. Sabse PremSamman sehyog per Swabhiman khone ko taiyar nahin. Kattar Rashtra Premi sabsepyara Desh Hamara.
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Today's fortune: To know the road ahead, ask those coming back
Your communities have pending members.
Last login: December 23, 2013 at 2:37 PM 

managed (9

maha Rana Pratap (29)
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My friends dedicated to Bharat (12)
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युगदर्पण मित्र मंडल YugDarpan (6)
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hindi patriotic poems (16)
http://www.orkut.co.in/Main#Community?cmm=93768498

my friends (457)

* " धर्मो रक्षति रक्षितः " , जिसका अर्थ है " रक्षित किया हुआ धर्म मनुष्य की रक्षा करता है " अथवा ........." जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है " *संगठन गढे चलो, सुपंथपर बढे चलो भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किये चलो! * हमारी प्रेरणा:-पराजय तो संभव है पर पराजय स्वीकार कर बैठ जाना संभव नहीं, जो हल्दीघाटी रच कर उसे विजय में बदल दे वो ज्वाला है महाराणा प्रताप ; जंगलों में सेना जुटा कर नई शक्ति के साथ हल्दी घाटी का इतिहास रचने और सिखाने वाला -महाराणा प्रताप. इसी प्रेरणा से संघर्षरत रहे कई कबीले संघर्ष के कारण शिक्षा से दूर रहे -आदिवासी, जनजाति कहलाये. देश के उन सभी सिपाहियों को मेरा शत शत नमन. इतिहास प्रेरणा भी देता है शिक्षा भी. यदि विकृत हो तो विनाश भी. Warm Welcome, to your valueable presence here.
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है! इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे!!" *स्वप्नों का भारत कोरी कपोल कल्पना नहीं, हम स्वर्ण युग के विश्वगुरु हैं. यदि हम अपनी मानसिकता व वातावरण बदल सकें तो हम अब भी सक्षम हैं. नए उत्साह व निश्चय सहित मिले श्रीगणेश की राह, यही है मेरे 25 ब्लाग की चाह. हम सब व्यवस्था को दोष देते सुधर हेतु भगत सिंह की चाह रखते हैं किन्तु उसे अपने घर या पड़ोस में जन्म देना नहीं चाहते तब किस ग्रह से आयेगा भगत सिंह. कुछ पाने हेतु उसका मूल्य तो चुकाना, मातृभूमि व समाज के ऋण चुकाने हेतु कुछ करना होगा. समस्या के मूल तक जाकर निवारण भी मिलेगा. दृश्य स्पष्ट व निष्ठा हो तो सफलता भी मिलेगी. यह सब देखना है तो एक ही विकल्प है युगदर्पण. नीव मैंने बना दी है आपका सहयोग इसे गति दे. विश्वगुरु भारत के माध्यम मानवता हित हमें विजयी होना ही होगा. आत्मा विस्मृति से समुद्र लांघने में संकोच करते हनुमान को क्षमता का स्मरण आने पर चमत्कार हुआ. अब भी विस्मरण, संकोच में आत्म विश्वास से चमत्कार दिखायेंगे. मार्गदर्शिका है 25 ब्लाग.सूत्र - युगदर्पण.ब्लागस्पाट.कॉम
* " धर्मो रक्षति रक्षितः " अर्थात " रक्षित किया हुआ धर्म मनुष्य की रक्षा करता है " अथवा ....." जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है " *Bharat aur India bhaugolic ek ho sakte hain, bhavatmak bhinnta hai: India dedicated to maikalevad, sharmNirpeksh. Bharat ne sada Vasudhaiv Kutumbkam ko mana hai. We respect all relegion / faith but cant allow any body to delibrately disHonour our Nation, National pride, Values & faith preserved for millions of years. When Vishva Guru is dis honoured, we are left with a group of trained animals. A society without social values. Nehru said India ie Bharat, but India can't be BHARAT. 
देशका चौकीदार कहे- देश भक्तो, जागते रहो- तिलक संपादक युगदर्पण- 09911111611 " सत्य यह है कि इसकी आड़ में (देखें अध्याय 1 सूत्र 1.1 व 1.2 व अन्य), आम आदमी के नाम पर सत्ता लेकर राष्ट्र का शोषण व खोखला करने वाले लोग अपने विरोधियों को कुचलने की असीमित शक्ति बटोर रहे हैं ! हिंदी व अंग्रेजी में 60 पृष्ठ के विधेयक का सूत्र: http://www.nac.nic.in/pdf/pctvb_hindi1.pdfhttp://www.nac.nic.in/communal/com_bill.htm माना सभी हिन्दू पवित्र नहीं, राष्ट्रवादी मुस्लिम से भय नहीं, अपराधी कोई भी हो अपराधी है! कोई नापाक हरकत हिन्दू, मुस्लिम या ईसाई में भेद करे, राष्ट्र के शत्रुओं की ढाल बने, क्या राष्ट्र हित में है? विस्तार से जानें! यह विधेयक सबके मौलिक अधिकार शुन्य कर सत्ता की कठपुतली बना सकता है, गुलाम बना सकता है और उस दुर्गति से बचाने कोई भगत सिंह पैदा होने ही नहीं दिया जायेगा ! मुर्दे कभी नहीं बोलते! जो जिन्दा है वही बोलेगा ! तभी तो देश का चौकीदार कहता है देश भक्तो जागते रहो! मार्गदर्शिका है 25 ब्लाग.सूत्र - युगदर्पण.ब्लागस्पाट.कॉम 
लेखक पत्रकार राष्ट्रीय मंच (लेपराम) LPRM (राष्ट्रव्यापी व राष्ट्रसमर्पित)- संपादक युगदर्पण जन सामान्य, लेखक पत्रकार सभी में अच्छे बुरे सब लोग होते हैं, किन्तु लेखक पत्रकार बिकाऊ हो तो देश बिकने से रोकने वाले सोये रहते हैं ये देश जगाने लगें सत्ता के शिखर भी हिल जाते हैं! भ्रष्ट सरकार अब तानाशाही के चरम की और बढने लगी है! जनजागरण पर अंकुश से अपने पापों को ढका जायेगा, तब देश भक्त लेखकों, पत्रकारों का मांच ही यह कर्त्तव्य निभाने के कम आयेगा ! तो हे देश व्यापी राष्ट्र प्रेमी लेखक पत्रकारों इस राष्ट्र यज्ञ में आपका स्वागत है- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611 मार्गदर्शिका है 25 ब्लाग.सूत्र - युगदर्पण.ब्लागस्पाट.कॉम
Bharat premi Manch, भारत प्रेमी मंच: FoR Those Who  Love Nation & Keep National  Interests Above All. Share Views. Serve Bharat. Save Bharat. देश बचाना = देश सेवा है। वन्देमातरम 
आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है - इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मेकालेवादी, मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प -राष्ट्र वादी मीडिया |अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग...remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ...yugdarpan.com
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं | -तिलक संपादक

Tuesday, September 2, 2014

सुधरेंगे नहीं, हम?

सुधरेंगे नहीं, ?औकात भूल गए क्या? मार्च में इन्ही हरकतों ने डुबोया था, तुम्हें और तुम्हारे आकाओं को मई में 



#आजतक चैनल के #थर्ड डिग्री #कार्यक्रम में मार्च में बाबा राम देव ने कहा
 कभी राहुल गांधी को भी बुलाकर इस कार्यक्रम में घेरिये। तो इस पर पुण्य प्रसून का उत्तर """
आप भी कभी मोदी जी से, इस कार्यक्रम में आने के लिए कहिये।""राहुल गांधी के नाम पर मिर्ची लग जाती है इनको। इन हरामखोरो को याद नहीं रहा लगता हैमोदी इनके चेनल पर सीधी बात मे चुके है और ये क्या चाहते है?मोदी इस दलाल चेनल पर बार 2 आये, तो इसके इनकी घटती टीआरपी फिर बढ़े ये अपने सगे वाले कोंग्रेसियो के दलाल चेनल, अपने आकाओं को बुलाकर टेड़ा प्रश्न पूछ, आकाओं को नंगा करने का साहस नहीं होता। तभी तो बुला कर हल्का प्रश्न पूछतेहै। आज तक न्यूज़ चैनल सबसे बड़ा कोंग्रेसी, औरआप पार्टी का दलाल। इनका काम हिन्दू धर्म हिन्दू संगठनो पर ऊँगली उठाना और साथ में दिन रात मोदी, भाजपा के बारे में झूठे समाचार दिखा कर लोगो को भ्रमित करना। 
नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक विकल्प युगदर्पण| -YDMS मार्च 2014 
और अब भी -जिस परिवार की सरकार ने 6 दशक 21900 दिन सत्ता में रह कर, केवल देश को लूटा, वादे पूरे हैं किये, मात्र 100 दिन में बिलखने लगे ? साथ में उनके टुकड़खोर, जिन्हे पहले मलाई की खुरचन मिल जाती थी, हाय अब क्या करेंगे ? रोना बिलखना इस बात का है। 
उत्तिष्ठत अर्जुन, उत्तिष्ठत जाग्रत !! 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, 
तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(सोशल मीडिया में विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। 
आपकी सहमति के, शेयर के सभी आँकलन तोड़ -ये पहुंचें 125 करोड़
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक
इतिहास को सही दृष्टी से परखें। राष्ट्र का गौरव जगाएं, भूलें सुधारें। आइये,
आप ओर हम मिलकर इस दिशा में आगे बढेंगे, देश बड़ेगा । तिलक YDMS
देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं | -तिलक संपादक

Sunday, August 10, 2014

आप कैसा भारत चाहते हैं ?

आप कैसा भारत चाहते हैं ? 
आप अपनी आने वाली पीढ़ी को कौनसा भारत देना चाहते हैं? जब दारुल हरब और दारुल इस्लाम के नामसे वैश्विक निर्णायक युद्ध छेड़ा जाये आप कहें मैं युद्ध के विरुद्ध हूँ, तो क्या आप बच पाएंगे? आप कहें सबके खून का रंग एक है तो क्या रंग एकता का क्विक फिक्स है? डीएनए तो भिन्न है। क्या + ग्रुप के रक्त में - ग्रुप का रक्त चढ़ाया जा सकता है ? जहाँ युद्ध नियम से नहीं, किसी मूल्य पर विजय केंद्रित हो तब निष्क्रियता प्राण रक्षा नहीं आत्महन्ता बन जाती है। निर्णायक युद्ध का परिणाम हिन्दू भारत या इस्लामिक दोनों में से एक चुनना होगा तीसरा कोई विकल्प नहीं। 
जो हिन्दू मुस्लिम तर्क नहीं समझते ताश का फ़्लैश जानते हैं। आप खेल में बैठे सेक्युलर ढंग से कहते हैं मैं हारने जीतने के पक्ष में नहीं हूँ। अपने चक्र का बूट शायर डालना पड़ेगा, किसी भी गणित से खेल के अंत में हारा मिलेगा। 
अब निर्णय आपका है। हिन्दू भारत या इस्लामिस्तान ? गीता की कर्मण्यता अपनाएंगे या वामपंथियों की कुत्सित भ्रमित कर्मण्यता। क्योंकि इनका पाखंड तो अब खंड खंड होगा यह निश्चित है। 
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धर्मनिरपेक्ष संविधान या तालिबान ?

धर्मनिरपेक्ष संविधान या तालिबान ? 
धारा 30 (A) क्या आप इसे उचित मानते हैं ? 
क्या आप इस शर्मनिरपेक्ष अनुचित कुचक्र का समर्थन करते हैं।  क्या यह धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारत के इस्लामीकरण का गुप्त द्वार (चोरदरवाजा) नहीं है ? यह पूर्ववर्ती शर्मनिरपेक्ष सरकार का दिया तालिबानी कानून है। समानता के नामपर घोर भेदभाव कारक। 
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Saturday, August 9, 2014

आतंकवाद रक्षक -मानवतावादी पाखंड

आतंकवाद रक्षक -मानवतावादी पाखंड
वन्देमातरम,
जिन्दा हूँ के साँस अभी बाकि है ये मुहावरा क्या आपको वीरोचित लगता है ?
आशावाद आवश्यक है किन्तु जब उसमे पुरुषार्थ जुड़ा हो और पुरुषार्थ मन से आशा सहित ही परिणाम कारक होता है -ईश्वर पर विश्वास और पुरुषार्थ का संगम आवश्यक है। गीता के सन्देश 'कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।' को स्मरण रखें -तिलक संपादक युगदर्पण।
विगत 700-800 वर्षों से, हमें भारत में बहुत कुछ विदेशी आक्रमणों के कारन झेलने को मिला है, किन्तु हम अभी भी बच गए है और गत 20 वर्षों में हमें पुनर्जीवित किया जा रहा है और इस प्रकार का विचार कई बार कहने सुनने में आता रहा है। दूसरी ओर तर्क यह भी है कि 2000 वर्ष पूर्व कोई ईसाई धर्म अथवा इस्लाम नहीं था जो आज 50 % हैं। केवल हिंदुत्व अथवा इसी के विस्तार में बौद्ध धर्म सम्पूर्ण एशिया में व्याप्त था या जैन भी हुए। भारत 80 % सिकुड़ कर मात्र 20 % रह गया है। और हम 2000 वर्ष पूर्व के गौरव के साथ वर्तमान के यथार्थ को भी समझें। विश्व के अनेक देशों हमारी संस्कृति के खंडहर हमारी गौरव गाथा आज भी गा रहे है (जब कि इस्लाम ने कई स्थानों पर उन्हें नष्ट भी किया है)।
हम 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता हैं. क्योंकि हम अजेय भी रहे हैं और विश्व विजेता हम अपने शौर्य प्रक्रम के कारण थे किन्तु पराजितों को बार बार क्षमा दान देने वाले एक बार जयचंद अथवा छलपूर्वक पराजित किये जाने पर मर्दन का शिकार हुए। इसने हमारे गौरव का भी मर्दन कर दुष्ट वामपंथियों व मैकाले वादियों को यह अवसर प्रदान किया कि हमें हीनता का शिकार बना, भ्रम की स्थिति बनाने का कुचक्र रच सकें। विगत में शासक इसी स्थिति का या तो समर्थन करते रहे या रोकने में असफल रहे। विश्व गुरु और विश्व विजेता भारत विश्व कल्याण से अपने कल्याण में भी असमर्थ दिखा। अत: कथित मानवता वादी पाखंड से भ्रमित पौरुष त्याग चुके, हमारे आज की महाभारत के अर्जुन अकर्मण्यता का त्याग करें।
कल्पना यह करें कि जिस सोने की चिड़िया के पंख एक सहस्त्र वर्ष से आज तक (संप्रग की लूट सहित) नोचे जा रहे हैं उसका पूर्व रूप कैसा रहा होगा। कल्पना यह करें कि नालंदा तक्षशिला के विशाल ज्यान भंडार मुगलों ने जिनका अग्नि दहन किया। फिर भी उनका समर्थन करने में अपनों से लड़ते कथित मानवता वादी। इनके दबाव या भ्रम में जीवन की महाभारत के हमारे अर्जुन पौरुष त्याग, किस प्रकार जाने अनजाने चाहे अनचाहे विश्व कल्याणकारी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं। उत्तिष्ठत पार्थ उत्तिष्ठत जागृत
क्योंकि, हमारा गौरव पूर्ण इतिहास काल्पनिक नहीं है। अत: हम न तो पूर्व की कल्पनाओं में संकटों को अनदेखा करें, न इतिहास को नकार कर हीन भावना और भरें, आत्म मुग्ध या आत्म हन्ता बन संकट की अनदेखी, ये दोनों ही आत्म घाती है हानि कारक हैं। आंतरिक शक्तियों का संचय एवं संवर्धन कर, भारत फिर विश्व गुरु और विश्व विजेता बन हम विश्व कल्याण में अपनी भूमिका निर्धारित कर सकते हैं।आधुनिक ज्ञान विज्ञान से पुष्ट हमारा पौराणिक ज्ञान विज्ञान तथा नई ऊर्जा का संचय कर भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण हमारी स्वतंत्रता के अच्छे दिनों का सन्देश होगा।
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, 

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विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं | -तिलक संपादक

Friday, August 8, 2014

मानवतावाद का चोला ?

मानवतावाद का चोला ? सही लगे तो शेयर कर
125 करोड़ तक पहुचाएं।
वन्देमातरम, (कृ ध्यान से पूरा पढ़ें तथा अंतरात्मा से सही निर्णय लें।)
यदि बात सबकी भावनाओं का सम्मान करने की है ?
सर्व पंथ समादर तो हिन्दू चरित्र में है। तभी स्वतंत्रता के बाद अन्यों का काल्पनिक भय दिखा कर भारत को धर्म निरपेक्ष बनाने के प्रस्ताव को सहज स्वीकार लिया गया। फिर धर्म निरपेक्षता की विकृत परिभाषा से हिंदुत्व को कुचलने व राष्ट्रद्रोहियों का समर्थन करने का नया मुखौटा बना मानवतावाद। जबकि एक सच्चा मानवतावाद हिंदुत्व में युगों युगों से निहित है। आचरण में है। मानवतावाद का आडम्बर; जिनका समर्थन करता है; उनका चरित्र उतना ही दोगला है; जितना मानवतावाद के पाखंडियों का। जिहादियों के छींकने से इन्हे बुखार हो जाये, क्या वे राष्ट्रद्रोहियों से किसी प्रकार काम है?
  किन्तु आधी सदी और 3 पीढ़ियों को मानवतावाद के नाम से हिन्दू विरोधी होने पर गर्व करना सिखाया गया। इसी के चलते कथित 'एलीट' शान से मानवतावाद का चोला ओढ़े हिन्दू को सांप्रदायिक कहने में तथा जिहादियों के समर्थन में जाने -अनजाने राष्ट्रद्रोहियों के पापों का सहभागी बनता है।
क्या अब भी आप स्वयं को मानवतावादि तथा हिन्दू साम्प्रदायिकता (जो हमारी संस्कृति को नष्ट करने अपसंस्कृति फ़ैलाने का कुचक्र है) जैसे भ्रम जनित सम्बोधन त्यागना नहीं चाहेंगे ?
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,  तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक  व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों मेंएक वैश्विक पहचान है।
जागो और जगाओ!  जड़ों से जुड़ें, 
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Wednesday, June 25, 2014

'वो आपातकाल'

'वो आपातकाल' सत्ता की अनंत भूख की उपज 
सत्ता की अनंत भूख, उसे बनाये रखने में तानाशाही और बाधाओं को कुचलने में उपजा आपातकाल यह काला अध्याय, भले एक घटना रही हो; किन्तु इस प्रक्रिया का क्रम यही है। जब सत्ता प्राप्ति का लक्ष्य, समाज के हित को भूल कर, साधनों का एकीकृत संग्रह करने हेतु स्वार्थ के वशीभूत होकर, लोभ तुष्टि बन जाये तो परिणाम यही होता है। लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को महत्वहीन तथा लोभ को लोक से बड़ा मान, संयम को नकार असंयमित व्यवहार की परिणती वह त्रासदी है, जिसे हमने 39 वर्ष पूर्व आपातकाल के रूप में देखा व भुगता। 
जब चुनाव अभियान में सरकारी तंत्र का दुरूपयोग करने के लिए इलाहाबाद कोर्ट ने उन्हें 6 वर्ष के लिए संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया था। पद छोड़ने के बजाए उन्होंने संविधान को स्थगित कर दिया। अपनी चमड़ी बचाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25-26 जून 1975, की रात में स्वतंत्रता का हनन कर, स्वार्थ की काली स्याही से अंधकार का आपात अध्याय लिख दिया।
प्राय: एक लाख लोगों को बिना सुनवाई के बंदी बना लिया गया और जिन्होंने उनकी भ्रष्ट सरकार के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व करने वाले जयप्रकाश नारायण, सहित सभी विपक्षी नेताओं को बंदगृह में डाल दिया गया। सबसे बुरा यह हुआ कि उन्होंने वैधानिक संस्थाओं को नष्ट किया, जो अभी तक नहीं सुधर पाई हैं। आपातकाल की मेरी कई रचनाएँ, जिनका स्मरण कर पा रहा हूँ, 'काव्यांजलिका' में प्रस्तुत हैं। http://www.kaavyaanjalikaa.blogspot.com/ 
हमें समझना होगा कि संविधान की सीमा उल्लंघन और पारदर्शीता का त्याग अनियंत्रित सरकार को तानाशाह बना सकता है। एक सशक्त सरकार का अर्थ होता है एक कर्मशील सरकार, न कि एक व्यक्ति का शासन, जो उस संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करता है, जिसका हमने राष्ट्रपति प्रणाली के समक्ष चयन किया है। यहाँ जनता स्वामी है और इसकी आवाज को दबाने के लिए कुछ भी करना, हमारे लोकतांत्रिक, अनेकतावादी और समता के आदर्शों वाले गणतंत्र के मूल तत्व के विपरीत है।
इन सिंद्धातों को खंडित करने वालों को, 1977 में हुए चुनाव ने पराजय से दण्डित किया। यहां तक कि इंदिरा गांधी जैसा प्रभावी व्यक्ति भी चुनाव में पराजित हो गया। यह सब जानना महत्वपूर्ण है जिससे इसकी पुनरावृति नहीं हो। देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं | -तिलक संपादक