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Wednesday, December 24, 2014

भारत रत्न पं. मालवीय और अटलजी,

25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी 90 वर्ष के हो गए हैं। 
25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी 90 वर्ष के हो गए हैं और महामना मदन मोहन मालवीय की 153वीं जयंती है। केंद्र सरकार पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के जन्‍मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें उनके घर जाकर जन्‍मदिन की बधाई दी। मोदी को पहले बनारस जाना था। किन्तु कार्यक्रम में परिवर्तन करते हुए, वह पहले अटलजी के घर गए। 
सरकार बुधवार को अटलजी को 'भारत रत्‍न' देने की घोषणा कर जन्‍मदिन का उपहार पहले ही दे चुकी है। संभवत: शुक्रवार को राष्ट्रपति अटलजी और महामना को भारत रत्न दे सकते हैं। बहियु वि.वि. की स्‍थापना करने वाले पं. मालवीय 1946 में 12 नवंबर को दिवंगत हो चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी जब बनारस से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन भर रहे थे, तब उन्‍होंने कहा था कि महामना को भारत रत्‍न मिलना चाहिए। अब उनके निधन के 68 वर्ष बाद ऐसा हो रहा है।
सम्बद्ध
अटल जी ने कारगिल के बाद कहा था- मैं स्वयं को भारत रत्न कैसे दे दूंं PHOTOS: देखिए-जानिए बचपन से प्र.मं. बनने तक का 'अटल' संघर्ष /यात्रा
कमजोर स्वास्थ्य के कारण अटलजी 'भारत रत्‍न' लेने राष्ट्रपति भवन नहीं जा पाएंगे। सरकार उन्हें घर जाकर सम्मानित कर सकती है। 22 वर्ष बाद किसी नेता को भारत रत्न दिया जाएगा।
बुधवार को जब अटलजी को संकेतों में यह बताया गया, कि उन्हें भारत रत्न मिला है तो वे मुस्करा दिए। अटलजी के भांजे अनूप मिश्रा के अनुसार
भारत रत्न की घोषणा के साथ ही अटलजी के घर पर मंत्रियों का तांता लग गया। गुरुवार को जन्मदिन होने के चलते सम्बन्धी भी पहुंच रहे थे। परिजन के अनुसार, उनका स्वास्थ्य बहुत अस्थिर है। वे न बोल पाते हैं, न ठीक से सुन पाते हैं। पक्षाघात के बाद पलंग या 'व्हीलचेयर' पर ही रहते हैं। बच्चों की तरह हो गए हैं। जरा-जरा सी बात पर रूठ जाते हैं।
45 वर्ष से उनकी सेवा कर रहे शिवकुमार के अनुसार, अटलजी कभी-कभी देर रात तक जागते रहते हैं और फिर प्रात: देर तक सोए रहते हैं। वह कभी खाने के शौकीन थे, किन्तु अब मात्र तरल ही लेते हैं। एक बार रात में उनके कक्ष में टीवी चल रहा था। किसी ने बंद कर दिया, तो वे रूठ गए। बिना कुछ खाए सो गए। जब टीवी चालू  किया, तब ही माने। उन्हें अखबार अब भी चाहिए। पढ़ नहीं पाते, सुनते हैं। मिलने-जुलने वाले आते रहते हैं, किन्तु वे किसी को नहीं पहचानते। हालांकि, कुछ समय पहले सुषमा स्वराज मिलने गई थीं तो तुरंत पहचान गए थे। ओओओओ... कर खुश हो गए थे।
अटल जी के निकटस्थ रही, कई नामी विभूतियों ने, उनसे जुड़े कई रोचक संस्मरण वर्णित किये, पढ़ें:
लालकृष्ण आडवाणी ने बताया, चुनाव हारने के बाद मैं और अटल जी फिल्म देखने गए..
(दैनिक भास्कर से साभार एवं सम्पादित) 
देश केवल भूमि का एक टुकड़ा, एक आरामगाह, एक बाज़ार समझते हैं जो लोग, कितना ही लुटा दो उन पर कभी संतुष्ट नहीं होते। वो जानते हैं कि शोर मचाकर और लूट सकते हैं। कर्तव्य नहीं है कुछ उनका, अधिकारों का सदा मचाते शोर हैं। कर्तव्य हिन्दू के, अधिकार दूसरों के-यह कैसी आज़ादी व किस की? इसमें वोटबैंक राजनीति, देश की सुरक्षा से खिलवाड़, किसी के हित में नहीं, स्वार्थवश राष्ट्रद्रोह है। धर्मनिरपेक्षता के नाम इसे करने में शर्म नहीं आये तो यह शर्मनिरपेक्षता कहलाये। -तिलक 
देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं | -तिलक संपादक