देश केवल भूमि का एक टुकड़ा, एक आरामगाह, बाज़ार समझते हैं जो, कितना ही लुटा दो उन पर संतुष्ट नहीं होते। जानते हैं शोर मचाकर और लूट सकते हैं। कर्तव्य नहीं है कुछ उनका, अधिकारों का मचा शोर हैं। कर्तव्य हिन्दू के अधिकार दूसरों के-यह आज़ादी कैसी व किस की? वोटबैंक राजनीति, देश की सुरक्षा से खिलवाड़, किसी के हित में नहीं, स्वार्थवश राष्ट्रद्रोह है। (निस्संकोच टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट संपर्कसूत्र - https://t.me/ydmstm - तिलक रेलन वरि पत्रकार, युगदर्पण 👑 9971065525,
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Thursday, April 8, 2010
Wednesday, April 7, 2010
देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं !देश केवल भूमि का एक टुकड़ा,एक आरामगाह,एक बाज़ार,समझते हैं जो लोग,कितना ही लुटा दो उन पर संतुष्ट नहीं होते.वो जानते हैं शोर मचाकर और लूट सकते हैं,कर्तव्य नहीं है कुछ उनका,अधिकारों का मचाते शोर हैं.कर्तव्य हिन्दू के अधिकार दूसरों के-यह आज़ादी कैसी व किस की? इसमें वोटबैंक राजनीति,देश की सुरक्षा से खिलवाड़,किसी के हित में नहीं,स्वार्थवश राष्ट्रद्रोह है-तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611,9911145678,9540007993.
Tuesday, March 30, 2010
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